प्रेरणादायक हिंदी कविता अनेकता में एकता
Hindi poem on unity
रिश्तों के इस जाल में,
कैसे रहते हो इस हाल में
क्यूँ बुन रहे हो ये जाल,
कौन अपना है कौन पराया
इस जाल में फँस
जाओगे एक दिन,
आँख खुलेगी तो
पछताओगे एक दिन
ये हिन्दू , ये मुस्लिम ,
ये सिक्ख , ये ईसाई
किस इन्सान में नहीं बुराई
ये बता दो मेरे भाई
देश को बाँटने का चलता
रहता है सिलसिला तुम्हारा
कभी बैठ के सोचो क्या
किसी के जीतने से कोई हारा
क्यूँ अटक गये हो जात-पातों में
दूरियाँ बढ़ती हैं इन फसादों में
देश के टुकड़े कर दिए इतने
दारार पड़ गयी मीनारों में
देश की एकता में
छिपी है सफलता इसकी
कुछ अच्छा भी कर
जाओ इस हयात में
हयात-जीवन
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प्रियंका जी, बहुत अच्छा लेखन. प्रेम ही जीवन का सार है.
good thiking really inspiring
Thank you…